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गुरु की महिमा

  तुलना किससे जा करें, कोई न गुरु समान। महिमा का उनकी सभी,कैसे करें बयान।। कैसे करें बयान,न गुरु गुण जाए गाया। कितनी बारी आन,कष्ट से हमें बचाया। आन न लेते सार,ख़ाक था बन कर रुलना। कोड़ी के था भाव,जगत में हमने तुलना।। # शार ✍🏻

प्रेम-पीड़ा और मन

  *गीत* बस केवल कष्टों का प्याला,अधरों के हिस्से आया।सोच रही हूं यही खड़ी क्यों,मैंने यह प्रेम कमाया।।       (1.) मुझको लगता मैं ही बस इस,रिश्ते को खींच रही थी। मुरझाई सी हुई जड़ों को,व्यर्थ ही सींच रही थी। मुझमें ही तो दोष रहा जो,ख्वाबों का बाग सजाया।सोच रही हूं यही खड़ी क्यों, मैंने ....    (2.) समझाती हूं पागल मन को,क्यों विचलित हो उठता है। पहले भी तो था ऐसा ही,अब तेरा क्या दुखता है।। तब भी तो गमगीन रहा तू,अब भी वो ही सब पाया।सोच रही हूं यही खड़ी क्यों,मैंने यह.....    (3.) पहले भी तो कितनी रातें,रोकर सभी गुजारी हैं। पहले जैसे ही तो अब भी,तुझ पर मुश्किल भारी है।। फिर क्यों तुझसे न अभी जाता,दुःखों का वजन उठाया। सोच रही हूं यही खड़ी क्यों,मैंने यह....    (4)मन कहता है दुख मिलने से,मुझको कुछ फर्क नही है। समझाऊं जो कहकर खुद को,ऐसा भी तर्क नही है। ख्यालों के धागों को मैंने,कितनी बारी सुलझाया। बस केवल कष्टों का प्याला,अधरों के...     (5.)सच होता है बेहद कड़वा,पीछा उससे छुड़वाता। पुलाव ख्याली दिन में रहता,मैं यूंही सदा पकाता। नित र...

मुक्तक 1222-1222-1222-1222 (बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम)

सभी देश वासियों को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं                    मुक्तक  मनाएं ईद सब मिलकर,सदा मिल खेलते होली।   दुआएं एकदूजे के,लिए मांगे फै'ला झोली।। न वैरी तोड़ पाएगा,हमारी एकता को आ, सभी हम साथ हैं चाहे,कईं भाषा कईं बोली।  ___ हरदीप कौर इन्सां 'शार' ✍🏻

कुंडलियां छंद

परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पावन -अवतार दिवस की कुल-आलम,सम्पूर्ण सृष्टि को करोड़ों-अरबों बार बधाई हो जी 🙏💐            आए जी इस जनवरी,सतगुरु ले अवतार। काल जेल से रूह का,करने को छुटकार। करने को छुटकार,नाम जहाज बनाया। दे दी रूहें तार,अनामी है पहुंचाया।। यतन करूं जो लाख,गुरु गुण जाएं न गाए। खातिर हमरी आप,खुदा खुद चलकर आए।।              ********** कुल आलम में आज तो,छाई हुई बहार। मानस चोला धार के,आए हैं दातार।। आए हैं दातार,फूल देवों बरसाए। दो जग के पालनहार,धरत पर चरण टिकाए।। लगता सुंदर खूब,रूह को अपना बालम। पा जिनका दीदार,झूमता है कुल आलम।। ___हरदीप कौर इन्सां 'शार' ✍🏻